सोमवार, 15 मई 2023

अशफ़ाक़ उल्ला खान

भारत माँ के वीर सपूत , अमर बलिदानी , शहीदे आजम अशफ़ाक़ उल्ला खान की जयंती पर शत शत नमन । फांसी के समय उनकी उम्र मात्र 27 साल थी । 

अशफ़ाक़ उल्ला खान एक महान क्रांतिकारी होने के साथ उच्चकोटि के शायर भी थे । उनकी गजले देशभक्ति की भावना से भरी हुई हैं । 
उस वक़्त भी अनेक लिबरल हिंदुस्तानी थे जो अंग्रेजी राज्य को अच्छा मानते थे और उनके सपोर्टर थे । आज भी देश को ऐसे ही  आस्तीन के सापों से ज्यादा खतरा है जो विदेशी टुकड़ों पर पल रहें हैं । इन लोगो के लिये अशफ़ाक़ जी लिखते हैं -

न कोई इंग्लिश न कोई जर्मन न कोई रशियन न कोई तुर्की,
मिटाने वाले हैं अपने हिन्दी जो आज हमको मिटा रहे हैं ।

चलो-चलो यारो रिंग थिएटर दिखाएँ तुमको वहाँ पे लिबरल,
जो चन्द टुकडों पे सीमोज़र के नया तमाशा दिखा रहे हैं।

उनकी अंतिम इक्षा थी -

ख़ुदा अगर मिल गया कहीं 
अपनी झोली फैला दूंगा 
और जन्नत के बदले उससे 
एक पुनर्जन्म ही मांगूंगा !
फिर आऊंगा, फिर आऊंगा 
फिर आकर ऐ भारत माता 
तुझको आज़ाद कराऊंगा ।

22 october 2020


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