शनिवार, 13 मई 2023

श्रीनिवास रामानुजम

महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम  जिनकी आज जयंती है -
वह जब कक्षा 3 मे पढ़ते थे, तो एक दिन जब अध्यापक समझा रहे थे कि किसी संख्या
को उसी से भाग देने पर भागफल 1 होता है, तो रामानुजम् ने उसी समय पूछा,
“क्या यह नियम शून्य के लिए भी लागू होता है ?
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महान गणितज्ञ व कैम्ब्रिज कॉलेज के प्रोफेसर जी.एच. हार्डी जब श्रीनिवास रामानुजम के घर टैक्सी नंबर १७२९ से पहुँचे तो रामानुजम हँस पड़े और उनसे कहा कि जनाब आप जिस
गाड़ी में आये हैं,उसका नंबर बहुत खास है|
1-यह संख्या एक का धन और संख्या १२ के धन का जोड़ है जो ९ व १० के धनों के
योग के बराबर है और ऐसा गुण धारण करने वाला यह नंबर सबसे छोटा है|
2-इसकी दूसरी खासियत यह है कि यह तीन प्राइम नम्बरों ७ ,१३ और १९ का गुणा
करने से प्राप्त होता है| रामानुजम कि यह बात सुनकर हार्डी हतप्रभ हो गए और उनसे
कुछ कहते नहीं बना |  
रामानुजम ऐसी ही विलक्षण प्रतिभा वाले गणितज्ञ थे| जब वह केवल १३ साल के थे तो उन्होंने गणित की शाखा उच्च त्रिकोणमिति पर एस.एल. लोनी की किताब को हल कर लिया था| यह किताब आज भी त्रिकोणमिति के छात्रों के लिए चुनौती बनी हुई है| इतना ही नहीं,उन्होंने उस कच्ची उम्र में कई प्रमेय का विकास किया और कई को अलग तरह से हल करने कि विधियाँ बतायीं| तमिलनाडु के इरोड में २२ दिसम्बर १८८७ को जन्मे और पले-बढ़े रामानुजम १७ साल की उम्र तक आते -आते बर्नोली संख्या और इयूलर मेस्करोनी कांस्टेंट पर शोध करके यह साबित कर चुके थे की वह विश्वस्तर के गणितज्ञ हैं| उन्हें कुम्भकोनम के सरकारी कालेज में छात्रवृत्ति दी गयी| २६ अप्रैल १९२० को महज ३२ वर्ष की अल्प आयु में उनका निधन हो गया . इस छोटी सी आयु में भी रामानुजम ने ३९०० गणितीय परिणामों पर काम कर दिखाया रामानुजम थीटा और रामानुजम प्राइम फन्कशन ने आगे शोध के लिए कई विद्वानों को आकर्षित किया | 
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गणित के क्षेत्र में एक महान उपलब्धि उस समय हासिल की गई जब दुनिया भर में गणितज्ञों को करीब एक सौ साल से उलझाए रखने वाला महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम का गणित का सिद्धांत सुलझा लिया गया और वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे ब्लैक होल के व्यवहार जैसे जटिल प्रश्नों को हल किया जा सकता है.
महज 32 साल की छोटी उम्र में दुनिया से कूच कर गए . गणित के जीनियस रामानुजम 1920 में मृत्युशैया पर थे. तभी उन्होंने अपने गुरू एवं ब्रिटिश गणितज्ञ जी एच हार्डी को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में भारतीय गणितज्ञ ने अनेक नए गणितीय फलन (फंक्शन) की रूपरेखा पेश की जिसे उससे पहले कभी सुना भी नहीं गया था. इस पत्र में रामानुजम ने इन फलन के बारे में ये भी संकेत दिए थे कि वे कैसे काम करते हैं. रामानुजन की चिट्ठी पढ़ने के बाद, हार्डी को लगा कि शायद, रामानुजन, रीमैन अनुमान सिद्ध कर सकता है। उसे ऐसा क्यों लगा, इसी बात की चर्चा, इस चिट्ठी में है। रीमैन-ज़ीटा सूत्र हार्डी ने वर्ष १९०९ में, ऑर्डरस् ऑफ इनफिनिटी (Orders of Infinity) नाम से एक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक में उसने लिखा था कि कोई ऎसा तरीका नहीं है जिससे पता चल सके कि किसी नम्बर से कम कौन से अभाज्य नम्बर हैं।
रामानुजन ने अपने पत्र में हार्डी की इस पुस्तक में जिक्र करते हुए लिखा है कि उसने एक ऎसा सूत्र  निकाला है जिससे यह पता चल सकता है कि किसी नम्बर से कम कितने अभाज्य नम्बर होगें और यह तरीका वास्तविकता से एकदम मिलता है और इसमें ग़लती की कोई गुजाइंश नहीं है। यही बात रीमैन अनुमान में कही गयी थी। तो क्या रामनुजन ने रीमैन अनुमान को सिद्ध कर दिया था ?  हार्डी और लिटिलवुड समझ गये कि रामानुजन अपनी तरह से रीमैन-ज़ीटा सूत्र की बात कर रहा है। लेकिन इसे हिलमैन नही समझ पाये थे।
डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने साबित किया कि रामानुजम का फार्मूला बिल्कुल सही था और यह फार्मूला ‘‘ब्लैक होल’’ के बर्तावों की भी व्याख्या कर सकता है. ब्लैक होल दिक्-काल का एक क्षेत्र था जहां से गुरूत्वाकषर्ण प्रकाश समेत किसी भी चीज को निकलने नहीं देता. एमोरी विश्वविद्यालय के गणितज्ञ केन ओनो ने कहा, ‘हमने रहस्यों से भरी उनकी आखिरी चिट्ठियों के प्राब्लम हल कर लिए हैं. गणित के इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह प्राब्लम 90 साल से खुला था.’ 
रामानुजम ने अपने पत्र में अनेक नए फंक्शन की चर्चा की थी जो ज्ञात ‘थीटा फंक्शन’ या प्रमापीय सूत्रों (मॉड्यूलर फार्म्स) से भिन्न तरह से व्यवहार करते हैं लेकिन उनकी बहुत निकट से नकल करते हैं.फंक्शन ऐसे समीकरण होते हैं जिन्हें ‘साइन वेव’ के समान किसी कक्ष पर ग्राफ के रूप में उकेरा जा सकता है और जब किसी चुनिंदा ‘इनपुट’ या मूल्य के लिए गणन करने पर कोई ‘आउटपुट’ दे सकते हैं.
रामानुजम ने अनुमान लगाया था कि उनका आभासी मॉड्यूलर फार्म उन सामान्य मॉड्यूलर फार्म के सदृश होता है जिनकी पहचान कार्ल जैकोबी ने की थी और एक के मूल (रूट्स) के लिए दोनों का समाहार समान आउटपुट के साथ होता है. ओनो ने कहा, ‘हमने साबित किया कि रामानुजम सही थे. हमने पाया कि फार्मूला उन दृष्टियों में से एक की व्याख्या करता है जिनके बारे में वह समझते थे कि वह उनकी देवी से आई है.’ अनुसंधानकर्ता यह देख कर दंग रह गए कि तकरीबन एक सौ साल पुराना फार्मूला आज भी उपयोग किया जा सकता है.
ओनो ने कहा, ‘जब रामानुजम सबसे पहले अपने आभासी मॉड्यूलर फार्म्स ले कर आए तो 1920 दशक में कोई भी ब्लैक होल की चर्चा नहीं करता था, और उसके बावजूद उनका फार्मूला उनके बारे में रहस्यों को बेपरदा कर सकता है.’ रामानुजम का निधन 26 अप्रैल 1920 को 32साल की छोटी सी उम्र में हो गया.
 

उन्होंने अपनी जन्मतिथि 22-12-1887 पर एक जादुई वर्ग magical square बनाया था जिसमे हर तरफ से जोड़ 139 आता है |

महान गणितज्ञ रामानुजम को शत शत नमन

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