शनिवार, 13 मई 2023

क्रांतिकारी वीरांगनायें

10 मई 1857 क्रांति दिवस 

1857 के प्रथम भारतीय स्वाधीनता संग्राम  पर एक पुस्तक का प्रकाशन नेहरु युवा केंद्र दिल्ली द्वारा किया गया था। इस पुस्तक का नाम था “साझी शहादत के फूल!” इस पुस्तक में कई उन नायिकाओं के विषय में बात की गयी है जिन्हें वामपंथी इतिहास में एकदम ही विस्मृत कर दिया है। कौन हैं, कहाँ हैं? कोई नहीं जानता। इस पुस्तक के 132वें पृष्ठ पर मुजफ्फर नगर जनपद की क्रान्तिकारी महिलाओं के विषय में जानकारी प्रदान की गयी है 
 आशा देवी गुज्जर: इनके पति मेरठ सैनिक विद्रोह में अग्रणी स्थान पर थे। जो पहला जत्था मेरठ से दिल्ली विजय के लिए गया था, वह उसके सदस्य थे। 11 मई को जैसे ही आशा देवी को यह समाचार प्राप्त हुआ, तो वह अपनी ससुराल तहसील कैराना के एक गाँव में थीं। उन्होंने वहीं पर संकल्प ले लिया कि वह हर मूल्य पर अंग्रेजों से मोर्चा लेगी? फिर उन्होंने नवयुवतियों की टोली बनाकर उसका संचालन किया। इसके साथ ही उन्होंने एक छापामार हमला करके 13 मई को कैराना के आसपास के सरकारी कार्यालयों एवं 14 मई को शामली तहसील पर हमला बोलकर अंग्रेज सरकार को बहुत हानि पहुंचाई।
भगवती देवी त्यागी: यह अद्भुत वीरांगना थीं। उन्होंने मुजफ्फरनगर का नाम रोशन किया था। 22 दिनों तक अपनी टोली के साथ जाकर प्रचार करती रही और गाती रही कि अंग्रेज अब बस जाने ही वाले हैं। जन जागरण करती थी और फिर अंतत: अंग्रेजों की पकड़ में आ गयी और उन्हें तोप से उड़ा दिया गया।

शोभा देवी ब्राह्मणी: यह अद्भुत योद्धा थीं, जिन्हें अंग्रेजों ने पकडे जाने पर फांसी दे दी थी। इन्होने अपनी महिला टोली बनाई थी और साथ ही जो उनकी टुकड़ी थी उसमें आधुनिक हथियारों से लेकर, तलवार, गंडासा, कृपाण आदि धारण किये गए सैनिक भी थे। एक दिन उनका सामना अंग्रेजी टुकड़ी से हुआ। सैकड़ों की संख्या में पुरुष और कई महिलाओं ने लड़ते लड़ते प्राण दिए। यह पकड़ में आ गईं और उन्हें फांसी दे दी गयी।

इस पुस्तक में इस लेख को लिखने वाले इतिहासकार अरुण गुप्ता और रघुनंदन वर्मा के अनुसार कई महिलाओं ने अपने प्राण देकर मुजफ्फरनगर की धरती को उस क्रान्ति में अमर कर दिया था। इन महिलाओं में और नाम थे भगवानी देवी, इन्द्र्कौर जाट उम्र 25 वर्ष, जमीला पठान उम्र 22 वर्ष, रणबीरी वाल्मीकि आदि। इन सभी ने अपनी अपनी टोली बनाकर अंग्रेजों का सामना किया था और उनमें से सभी को फांसी पर चढ़ा दिया गया था।

ब्रिटिश रिकॉर्ड के अनुसार मुजफ्फरनगर में 255 महिलाओं को फांसी पर चढ़ाया गया था और कुछ लड़ती-लड़ती मारी गयी थीं और थानाभवन काजी खानदान की श्रीमती असगरी बेगम को पकड़ कर अंग्रेजों द्वारा जिंदा जला दिया गया था।

एक ऐसी ही वीरांगना अजीज़न बाई भी थी । उनके बारे में बाद में लिखेंगे ।

indian history in hindi, भारतीय इतिहास

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