My Blog on Forgotten Heros, Forgotten History, Dharma (Religion) , Darshan (Philosophy), Science and Technology . भारतीय इतिहास , धर्म , दर्शन
रविवार, 25 फ़रवरी 2024
मैकाले की टूल किट
शनिवार, 26 अगस्त 2023
जौहर
आज 26 अगस्त 1303 को जौहर_दिवस पर महाराणी माता पद्मिनी एवं साथ मे जौहर करने वाली सोलह हजार क्षत्राणियों को नमन 👏👏
करीब 700 वर्ष पूर्व सन 1303 को चितौड़ की महारानी मां पद्मनी ने सतीत्व की रक्षा के लिये 16000 राजपूतानियों व अन्य स्त्रियों तथा बालिकाओं के साथ जौहर किया था!
जौहर' एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनकर हमारी 'रुह कांप' जाती है, परन्तु उसके साथ ही साथ यह शब्द हिन्दू नारियों के अभूतपूर्व 'बलिदान' का स्मरण कराता हैँ! जो जौहर शब्द के अर्थ से अनभिज्ञ हैँ! उन्हेँ मेँ बताना चाहुँगा....॥ जब किसी हिंदू राजा के राज्य पर विधर्मी आक्रमणकारीयोँ का आक्रमण होता तो युध्द मेँ जीत की कोई संम्भावना ना देखकर क्षत्रिय और क्षत्राणी आत्म समर्पण करने के बजाय लड़कर मरना अपना धर्म समझते थे! क्योकिँ कहा जाता है ना "वीर अपनी मृत्यु स्वयं चुनते है!" इसिलिए भारतीय वीर और वीरांगनाए भी आत्मसमर्पण के बजाय साका +जौहर का मार्ग अपनाते थे! पुरुष 'केसरिया' वस्त्र धारण कर प्राणोँ का उत्सर्ग करने हेतु 'रण भूमि' मेँ उतर जाते थे! और राजमहल की समस्त महिलाएँ अपनी 'सतीत्व की रक्षा' हेतु अपनी जीवन लीला समाप्त करने हेतु जौहर कर लेती थी! महिलाँए ऐसा इसलिए करती थी क्योँकि मलेक्ष् आक्रमणकारी युध्द मेँ विजय के पश्चात महिलाओँ के साथ बलात्कार व नेक्रोफिलिया करते थे! और उन्हें सुल्तान के हरम में भेज देते थे । अत: हिन्दू स्त्रियां व बालिकाएं अपनी अस्मिता व गौरव की रक्षा हेतु जौहर का मार्ग अपनाती थी! जिसमेँ वे जौहर कुण्ड मेँ अग्नि प्रज्जवलित कर धधकती अग्नि कुण्ड मेँ कुद कर अपने प्रणोँ की आहुती दे देती थी!! जौहर के मार्ग को एक क्षत्राणी अपना गौरव व अपना अधिकार मानती थी! और यह मार्ग उनके लिए स्वाधिनता व आत्मसम्मान का प्रतिक था! ये जौहर कुण्ड ऐसी ही हजारोँ वीरांगनाओ के बलिदान का साक्ष्य हैँ! नमन है ऐसी वीरांगनाओँ को...और गर्व है हमे हमारे गौरवपूर्ण इतिहास पर......
शुक्रवार, 14 जुलाई 2023
भारतीय इतिहास में नक्शो का फर्जीवाड़ा
इतिहास की किताबों में नक्शो का फर्जीवाड़ा
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सोमवार, 26 जून 2023
कोलम्बस
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शुक्रवार, 16 जून 2023
इंग्लैंड की रामायण
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सप्तमातृका
• मार्कण्डेय पुराण में वर्णन मिलता है कि युद्ध में चण्डिका की सहायता के लिए सप्तमातृकाएं उत्पन्न हुईं थीं। इन्हीं सप्तमातृकाओं की सहायता से देवी ने रक्तबीज का वध किया था।
• ईसा की पहली शताब्दी से मातृका पूजन का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। वराहमिहिर के बृहत्संहिता मे एवं शूद्रक के मृच्छकटिकम् में मातृका पूजन का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
• स्कंदगुप्त के बिहार स्तंभलेख में मातृका पूजन उल्लेखित है।
• गुप्त शिलालेख के अनुसार ४२३ ई. में मालवा के विश्वकर्मन राजा के अमात्य मयूराक्ष ने मातृकाओं का एक मंदिर बनवाया था ।
• पांचवी सदी के गुप्तसम्राट प्रथम कुमारगुप्त के गंगाधर लेख में मातृका के मंदिर का उल्लेख मिलता है।
• चालुक्य एवं कदंब राजवंश सप्तमातृकाओं के उपासक थे।
सोमवार, 15 मई 2023
जालियाँवाला बाग
कहाँ गए सुभाष
मैकाले की टूल किट
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शनिवार, 13 मई 2023
भारतीय इतिहास का घोड़ा घोटाला
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indian history in hindi, भारतीय इतिहास, horse in indiaभारत की यात्रा करने वाले 56 कोरियाई यात्री
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वैज्ञानिक न्यूटन को लिखना पड़ी इतिहास की किताब :
75000 साल पहले भारतीयों का सफर
एक श्रृंगी
ईसा मसीह की जन्म तारीख
सप्त मातृका
इंग्लैंड की रामायण
दुर्गा सप्तशती वर्णित असुरों का मूल
दुर्गा सप्तशती वर्णित असुरों का मूल-
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