गायत्री महाविज्ञान का दर्शन भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक गहन एवं व्यापक सिद्धांत है, जो जीवन के भौतिक, मानसिक और आत्मिक विकास पर केंद्रित है। यह दर्शन जीवन की उच्च संभावनाओं को जागृत करने और मानव-चेतना को परम चेतना से जोड़ने का मार्ग दिखाता है। आइए इसके प्रमुख तत्वों को समझें:
1. गायत्री का तात्त्विक स्वरूप
गायत्री को वेदों में महाशक्ति और ऋग्वेद की मातृशक्ति कहा गया है। यह ब्रह्मांड की रचनात्मक और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है, जो जीवन को समृद्धि, ज्ञान और शुद्धता प्रदान करती है।
गायत्री मंत्र:
"ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥"
यह मंत्र सूर्य रूपी परमात्मा से बुद्धि, विवेक और प्रज्ञा की प्राप्ति का आह्वान करता है।
2. त्रयी शक्ति: सत्य, शिव और सुंदर
गायत्री महाविज्ञान में तीन प्रमुख तत्व माने जाते हैं:
सत्य: सत्य ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है। यह व्यक्ति को यथार्थ देखने और सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
शिव: यह कल्याण का सिद्धांत है, जो अहिंसा, सेवा और परोपकार के मूल्यों को जागृत करता है।
सुंदर: सौंदर्य का अर्थ आत्मा के अंतर्मुखी सौंदर्य से है, जो भीतर की शांति, संतुलन और सद्भाव से प्रकट होता है।
3. बुद्धि और प्रज्ञा का विकास
गायत्री मंत्र के जप का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानसिक और बौद्धिक विकास भी है। यह धारणा है कि मंत्र का नियमित अभ्यास आत्म-चेतना को जागृत कर बुद्धि को शुद्ध करता है और व्यक्ति को विवेकशील एवं कर्मशील बनाता है।
4. विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय
गायत्री महाविज्ञान भौतिक विज्ञान और अध्यात्मिकता के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह दृष्टिकोण है कि विज्ञान की प्रगति का उपयोग मानवता की भलाई के लिए हो और व्यक्ति अपने भीतर के दिव्य तत्व को जागृत कर समाज के उत्थान में योगदान दे। देखिए
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC9623891/
5. आत्म-संयम और साधना
गायत्री महाविज्ञान साधना, आत्म-अनुशासन और ध्यान पर विशेष बल देता है। व्यक्ति को बाहरी प्रलोभनों से मुक्त होकर भीतर की शक्तियों को जागृत करना चाहिए।
6. सर्वजनहित और विश्वकल्याण
गायत्री दर्शन केवल व्यक्तिगत मुक्ति का नहीं, बल्कि समाज और विश्व के कल्याण का भी मार्ग दिखाता है। यह विचारधारा बताती है कि मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है जब वह अपने ज्ञान, शक्ति और संसाधनों का उपयोग लोकमंगल के लिए करता है।
निष्कर्ष
गायत्री महाविज्ञान का दर्शन व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास का पथप्रदर्शक है। यह जीवन को अनुशासन, ज्ञान, सेवा और परोपकार के आदर्शों से भरकर समाज और विश्व के समग्र कल्याण की दिशा में प्रेरित करता है। यह हमें सिखाता है कि आत्मोन्नति और लोककल्याण एक ही यात्रा के दो पहलू हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें